KMC Hospital performs PDA device closure on four-month-old baby

KMC Hospital performs PDA device closure on four-month-old baby

KMC Hospital performs : भारत में चिकित्सा क्षेत्र में लगातार नई तकनीकों और उपचार पद्धतियों का विकास हो रहा है, और इसके परिणामस्वरूप जीवन रक्षक प्रक्रियाओं को और अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया जा रहा है। हाल ही में, KMC Hospital, मणिपाल, ने एक बहुत ही खास चिकित्सा प्रक्रिया की। अस्पताल ने एक चार महीने के बच्चे पर पेडिएट्रिक डक्टस आर्टेरिओसस (PDA) डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस प्रक्रिया ने बच्चे की जान बचाई और इसके साथ ही KMC Hospital की चिकित्सा विशेषज्ञता और क्षमता को साबित किया।

इस लेख में, हम इस मेडिकल प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे, PDA क्या होता है, इसका इलाज क्यों जरूरी है, और KMC Hospital ने कैसे एक छोटे से बच्चे की जिंदगी को बचाने के लिए यह जटिल चिकित्सा प्रक्रिया की।

PDA क्या है?

PDA (पेटेंट डक्टस आर्टेरिओसस) एक जन्मजात हृदय संबंधी समस्या है, जो शिशुओं में प्रकट होती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब दिल के भीतर स्थित एक महत्वपूर्ण रक्त वाहिका (ductus arteriosus) जन्म के बाद बंद नहीं होती, जैसा कि सामान्यतः होना चाहिए। इस रक्त वाहिका का कार्य गर्भावस्था के दौरान दो प्रमुख रक्त वाहिकाओं के बीच खून को संचालित करना होता है, जिससे शिशु का हृदय और फेफड़े सही से काम कर सकें।

लेकिन जन्म के बाद, जब शिशु का फेफड़ा कार्य करना शुरू करता है, तो यह रक्त वाहिका बंद होनी चाहिए। अगर यह बंद नहीं होती, तो शिशु के शरीर में रक्त का सही प्रवाह बाधित हो सकता है, और इससे कई जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि हृदय की अतिरिक्त कार्यभार और लंग्स पर दबाव।

KMC Hospital performs PDA device closure on four-month-old baby

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PDA के कारण शिशु के हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, और इससे हृदय में समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह हृदय, फेफड़ों और शारीरिक विकास के लिए खतरनाक हो सकता है। इलाज के बिना, यह समस्या शिशु की जान के लिए भी खतरा बन सकती है।

PDA का उपचार:

PDA के उपचार के लिए विभिन्न विकल्प होते हैं। जब PDA का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर आम तौर पर इसे बंद करने के लिए कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं का सुझाव देते हैं। इन प्रक्रियाओं में से एक प्रमुख प्रक्रिया है – PDA डिवाइस क्लोजर। यह प्रक्रिया सामान्यतः उन बच्चों में की जाती है जिनका PDA बड़ा होता है और जिन्हें दवाओं से उपचार नहीं मिलता।

PDA डिवाइस क्लोजर एक इन्कैथेटर-आधारित प्रक्रिया है, जिसमें एक छोटे से उपकरण (डिवाइस) का उपयोग किया जाता है, जिसे धमनियों के माध्यम से शरीर के भीतर डाला जाता है। यह उपकरण उस रक्त वाहिका को बंद कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह सही रास्ते पर लौट आता है और हृदय एवं फेफड़ों पर दबाव कम होता है। यह एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है और इसमें ओपन सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती।

KMC Hospital performs PDA device क्लोजर प्रक्रिया:

KMC Hospital मणिपाल, जो चिकित्सा क्षेत्र में अपने उच्चतम मानकों के लिए जाना जाता है, ने हाल ही में एक चार महीने के बच्चे पर PDA डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया को सफलता से पूरा किया। यह बच्चा मात्र 4 किलो वजन का था और जन्म से लेकर अब तक कई जटिलताओं का सामना कर चुका था।

इस बच्चे के हृदय में PDA की समस्या थी, जिससे उसकी हृदय गति में अनियमितता और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। शुरुआत में बच्चे को दवाओं के जरिए इलाज दिया गया, लेकिन उसकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने फैसला लिया कि अब PDA डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया ही सबसे उपयुक्त विकल्प है।

इस प्रक्रिया को करने के लिए केएमसी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक सर्जन की टीम ने मिलकर एक योजना बनाई। इस जटिल चिकित्सा प्रक्रिया के लिए आवश्यक सभी उपकरण और आधुनिक तकनीक अस्पताल में उपलब्ध थे, जिससे बच्चे का इलाज बिना किसी जटिलता के सफलतापूर्वक किया जा सका।

PDA डिवाइस क्लोजर की प्रक्रिया:

PDA डिवाइस क्लोजर एक बहुत ही नाजुक प्रक्रिया है, जिसे सही तरीके से करना जरूरी होता है। इसमें कुछ प्रमुख कदम होते हैं, जिनका पालन किया जाता है:

  • स्ट्रेटेजिक प्लानिंग और इमेजिंग: सबसे पहले, डॉक्टर बच्चे की स्थिति का मूल्यांकन करते हैं और इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके PDA की स्थिति को स्पष्ट रूप से समझते हैं। आमतौर पर, बच्चे का एक इकोकार्डियोग्राफ (Echocardiogram) किया जाता है, जिससे हृदय के अंदर की संरचना और रक्त प्रवाह की स्थिति का पता चलता है। इस इमेजिंग से यह सुनिश्चित किया जाता है कि डिवाइस को कहां और किस आकार में लगाया जाना है।
  • इंटरवेंशन: इस प्रक्रिया में एक कैथेटर का उपयोग किया जाता है, जिसे बच्चे के शरीर में डाला जाता है। यह कैथेटर आमतौर पर गुदा या गर्दन में स्थित धमनियों के माध्यम से डाला जाता है। डॉक्टर इस कैथेटर को सटीक स्थान पर लाकर PDA के माध्यम से डिवाइस को डालते हैं।
  • डिवाइस का इंसर्शन: डिवाइस को धीरे-धीरे उस रक्त वाहिका में डाला जाता है, जहां समस्या उत्पन्न हो रही होती है। एक बार डिवाइस सही स्थान पर पहुँचने के बाद, यह रक्त वाहिका को बंद कर देता है और रक्त प्रवाह को सामान्य करता है। इस प्रक्रिया में बच्चों को हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है, ताकि वे असहज महसूस न करें।
  • प्रक्रिया का सफल होना: इस प्रक्रिया के बाद डॉक्टर बच्चे के हृदय की स्थिति की निगरानी करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि डिवाइस सही तरीके से काम कर रहा है और रक्त प्रवाह में कोई रुकावट नहीं हो रही है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर बहुत कम जोखिम होता है, और बच्चों की रिकवरी काफी जल्दी होती है।

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KMC Hospital की विशेषज्ञता:

KMC Hospital मणिपाल के डॉक्टरों की टीम ने इस जटिल प्रक्रिया को पूरी दक्षता के साथ किया। अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट, पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट, और नर्सिंग स्टाफ ने मिलकर बच्चे की देखभाल की और सुनिश्चित किया कि वह सुरक्षित रूप से ठीक हो जाए।

KMC Hospital में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण और उच्च गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य देखभाल की सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जो ऐसे जटिल मामलों में अत्यधिक सहायक साबित होती हैं। KMC Hospital के डॉक्टरों ने इस बच्चे की स्थिति को गंभीरता से लिया और अपनी विशेषज्ञता का सही उपयोग करके उसे नया जीवन दिया। यह प्रक्रिया न केवल चिकित्सा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह अस्पताल की उच्च मानक सेवाओं को भी प्रमाणित करती है।

PDA डिवाइस क्लोजर की सफलता और भविष्य में इसका महत्व:

KMC Hospital PDA डिवाइस क्लोजर की सफलता एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इस प्रक्रिया ने यह साबित किया है कि इस प्रकार की जटिल चिकित्सा प्रक्रिया अब सुरक्षित और प्रभावी रूप से की जा सकती है। बच्चों में PDA जैसी समस्याओं का इलाज करने के लिए यह एक प्रभावी विकल्प बनकर उभरा है। इसके द्वारा, शिशुओं की हृदय समस्याओं का इलाज बिना किसी बड़ी सर्जरी के किया जा सकता है, जिससे उनकी रिकवरी जल्दी होती है और दर्द कम होता है।

भारत जैसे देश में जहां चिकित्सा सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में भिन्नताएँ होती हैं, इस प्रकार की प्रक्रियाएँ न केवल इलाज की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करती हैं, बल्कि यह बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकती हैं।

निष्कर्ष:

KMC Hospital मणिपाल ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता और विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। KMC Hospital PDA डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया ने न केवल एक छोटे से बच्चे की जान बचाई, बल्कि यह सिद्ध कर दिया कि आधुनिक चिकित्सा तकनीकों के माध्यम से जटिल रोगों का इलाज अब पहले से कहीं अधिक संभव और सुलभ हो सकता है। KMC Hospital की इस सफलता ने स्वास्थ्य क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण जगाई है, और इससे यह संदेश मिलता है कि चिकित्सा विज्ञान में निरंतर विकास और नवाचार बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।

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