ईरान की मुद्रा रियाल ने एक नई गिरावट का सामना किया हैडोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद,। बुधवार को, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया। यह गिरावट कई अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए संकेत है कि ट्रंप की वापसी के बाद ईरान की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।
यह केवल एक आर्थिक गिरावट नहीं, बल्कि ईरान के लिए कई अन्य चुनौतियों का भी संकेत है, क्योंकि देश पहले से ही गंभीर आर्थिक संकटों, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों, और मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्षों से जूझ रहा है।
बुधवार को रियाल की कीमत 703,000 रियाल प्रति डॉलर तक पहुँच गई, जो कि अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। हालांकि, बाद में कुछ सुधार हुआ और रियाल की कीमत 696,150 पर स्थिर हो गई। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की जीत के साथ, आने वाले समय में ईरान की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।
रियाल की गिरावट: ट्रंप की वापसी से ईरान को और क्या मिल सकता है?
रियाल की कीमत पहले ही लगातार गिर रही थी, लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इसका असर और बढ़ने की संभावना है। अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने ईरान के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, और अब उनकी वापसी से ईरान को इन प्रतिबंधों से निपटने में और मुश्किलें हो सकती हैं।
2018 में ट्रंप ने एकतरफा फैसला लेते हुए ईरान से परमाणु समझौता तोड़ दिया था, और तब से ही ईरान की अर्थव्यवस्था संकट में है। इस फैसले के बाद, ईरान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और भी अलग-थलग कर दिया गया। आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ने के कारण रियाल में गिरावट जारी रही है।
ईरान के एक 22 वर्षीय छात्र, आमिर अगहाइन ने कहा, “यह सौ फ़ीसदी सच है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हमारे देश पर और प्रतिबंध लगाए जाएंगे। जो चीज़ें पहले से हमारे पक्ष में नहीं थीं, उनका और बुरा हाल होगा। हम पहले ही आर्थिक और सामाजिक संकटों से जूझ रहे हैं, और अब मुझे लग रहा है कि हम एक और गहरे झटके का सामना करने वाले हैं।”
2015 से लेकर अब तक की स्थिति
2015 में, जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ था, तब एक डॉलर की कीमत 32,000 रियाल थी। लेकिन 2018 में, जब ट्रंप ने अमेरिका को एकतरफा रूप से इस समझौते से बाहर कर लिया, तब से ईरान की मुद्रा में लगातार गिरावट आई। 2018 के बाद रियाल की कीमत 100,000 रियाल से बढ़कर 500,000 रियाल के करीब पहुँच गई थी, और अब 2024 में यह 700,000 रियाल तक पहुँच चुकी है।
इस साल जुलाई में जब ईरान के सुधारवादी राष्ट्रपति मसूद पेज़श्कियान ने शपथ ली थी, तब एक डॉलर की क़ीमत 584,000 रियाल थी। इसका मतलब यह है कि ट्रंप के फैसले से ईरान की मुद्रा में भारी गिरावट आई है और देश की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ा है।
ईरानी सरकार की प्रतिक्रिया
ईरान के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी चुनाव के परिणामों का असर ईरान पर कोई विशेष प्रभाव नहीं डालेगा। पेज़श्कियान सरकार की प्रवक्ता फ़तेमह मोहजेरानी ने कहा, “हमने पहले से ही इन अमेरिकी नीतियों से निपटने की तैयारी कर ली थी। अमेरिकी चुनाव का असर हमारी सरकार की नीतियों पर नहीं पड़ेगा। इन नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी।”
हालांकि, यह सरकारी बयान था, लेकिन ईरान के नागरिकों में तनाव और चिंता का माहौल साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। एक ओर जहाँ कुछ लोग ट्रंप की नीतियों से असहमत हैं, वहीं कुछ लोग उम्मीद भी कर रहे हैं कि अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के कारण ईरान में बदलाव आ सकता है।
क्या कह रहे हैं आम लोग?
ट्रंप की वापसी ने ईरान के नागरिकों को भी चिंतित किया है। हालांकि, कुछ नागरिक इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग मानते हैं कि अब उनके देश में स्थिति और बिगड़ेगी।
रॉयटर्स से बात करते हुए तेहरान की 42 वर्षीय गृहिणी ज़ोहरा ने कहा, “मुझे ख़ुशी है कि ट्रंप की जीत हुई है। मैं उम्मीद करती हूँ कि वह इस्लामिक रिपब्लिक पर अधिकतम दबाव डालेंगे और इस सरकार को सत्ता से हटने पर मजबूर करेंगे।” दूसरी ओर, ईरान के रिटायर शिक्षक हामिदरज़ा का मानना था, “ट्रंप की जीत से मैं निराश हूँ। उनकी वापसी का मतलब है कि हमारे देश में और आर्थिक संकट आएगा। इसके अलावा, इज़राइल के साथ हमारा टकराव और बढ़ेगा। मुझे इससे बहुत चिंता हो रही है।”
अमेरिका और ईरान के बीच इतिहास और भविष्य की संभावना
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव का इतिहास बहुत पुराना है। 1953 में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने ब्रिटेन के साथ मिलकर ईरान में तख़्तापलट किया था, जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए। यह घटनाएँ 1979 की ईरानी क्रांति का हिस्सा बनीं, जिसके बाद अमेरिका और ईरान के बीच राजनयिक संबंध टूट गए थे।
उसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई रही, और आज भी ईरान और अमेरिका के बीच संघर्ष जारी है। 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास को कब्जे में लिया था और 52 अमेरिकी नागरिकों को 444 दिनों तक बंधक बना लिया था।
क्या भविष्य में अमेरिका और ईरान के रिश्ते सुधर सकते हैं?
ईरान और अमेरिका के रिश्ते सुधारने के लिए दोनों देशों की नीतियों में बदलाव जरूरी होगा। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले, ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते पर चर्चा हुई थी, लेकिन ट्रंप ने इसे तोड़कर ईरान के खिलाफ सख्त आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए। अब ट्रंप की वापसी के बाद, ईरान की परेशानियाँ और बढ़ सकती हैं।
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने हाल ही में अमेरिका और इज़राइल को चेतावनी दी है, “हम उनके खिलाफ करारा जवाब देंगे,” जो यह साबित करता है कि ईरान ने अपनी आंतरिक नीतियों में कोई बड़ा बदलाव करने का इरादा नहीं किया है।
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अंतिम विचार: ईरान का भविष्य क्या होगा?
ईरान की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट में थी, और अब ट्रंप की जीत से वह और बिगड़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान को अपनी आर्थिक नीतियों पर दोबारा विचार करना होगा। साथ ही, ईरान की सरकार को राजनीतिक बदलाव और अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना करना पड़ सकता है।
आने वाले समय में, यह देखना होगा कि ट्रंप की नीतियों के तहत ईरान किस प्रकार अपने कदम उठाता है। क्या ईरान में बदलाव होगा, या फिर देश और ज्यादा संकटों का सामना करेगा? यह सवाल अब ईरान के नागरिकों और विश्लेषकों के लिए सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
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